
सारण के सुमित ने...
ने स्वर्ण पदक जीता है. सुमित ने वर्ष 2012 में उसने किकबॉक्सिंग खेलना शुरू किया और गांव में ही ट्रेनर निशांत के प्रशिक्षण के बाद उसने अपना रुख रामजंगल सिंह बॉक्सिंग क्लब, दिघवारा में किया, जहां कोच रौशन सिंह, धीरजकांत, आलोक दूबे, विकास सिंह के अलावा महिला बॉक्सर प्रियंका व वर्षा ने उसकी प्रतिभा को तराशा. फिर क्या था, सुमित उपलब्धियों का अध्याय रचते हुए पहले राज्यस्तरीय प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक जीता, फिर 2014 में हरियाणा के कुरूक्षेत्र में व 2015 में दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में आयोजित राष्ट्रीय किकबॉक्सिंग प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक जीता. इसी प्रदर्शन के आधार पर उसका चयन वर्ल्ड कप किकबॉक्सिंग चैंपियनशिप के लिए भारतीय टीम में हुआ. भारतीय दल में शामिल दिघवारा के अमन, प्रियंका, धीरजकांत व सुमित कठिन परिस्थिति में इटली पहुंचे. अंतिम समय तक वीजा नहीं मिलने से संघ के पदाधिकारियों ने विदेश मंत्री सुषमा स्वराज व विदेश राज्यमंत्री वीके सिंह से मदद की गुहार लगायी, तब जाकर खिलाड़ियों को वीजा मिल सका और खिलाड़ी वीजा के साथ इटली रवाना हो सके.
किसान परिवार में जन्म
सुमित के पिता राजन राय एक सामान्य किसान हैं और मां आशा देवी गृहिणी है. सुमित की उपलब्धि में दादा सुदर्शन राय व दादी हीरा देवी के साथ चाचा अरविंद व देवेंद्र राय के प्रोत्साहन की अहम भूमिका रही है. सारण का यह नन्हा बॉक्सर चार भाई बहनों में सबसे बड़ा है.
अन्य के पदक जीतने की भी उम्मीद
जानकारी के मुताबिक सारण के कई खिलाड़ी मेडल मेडल राउंड में प्रवेश कर चुके हैं. इटली के एंड्रिया से भारतीय टीम के मैनेजर अशोक सिंह ने बताया कि शुक्रवार की सुबह तक कई और खिलाड़ियों के पदक जीतने की उम्मीद है.
No comments:
Post a Comment